फिल्म रिव्यू – मैदान: एक सच्ची कोशिश, कुछ खामियों के साथ

एंटरटेनमेंट डेस्क |अजय देवगन की बहुप्रतीक्षित फिल्म ” मैदान” का  10 अप्रैल, 2024 को  ईद के मौके पर धमाकेदार रिलीज हो चुका है। यह फिल्म भारतीय फुटबॉल के स्वर्णिम युग (1952-1962) पर आधारित एक खेल जीवनी नाटक है। फिल्म में अजय देवगन महान फुटबॉल कोच सैयद अब्दुल रहीम की भूमिका निभा रहे हैं, जिन्होंने 13 साल तक भारतीय फुटबॉल टीम को मैनेज किया और आधुनिक भारतीय फुटबॉल की नींव रखी।

2019 में शुरू हुई एक स्पोर्ट्स बायोपिक फिल्म “मैदान” दर्शकों के सामने आई है। यह फिल्म भारत के सबसे कम लोकप्रिय खेल, फुटबॉल, और सैयद अब्दुल रहीम, जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय फुटबॉल टीम को प्रशिक्षित किया और उन्हें ओलंपिक और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के लिए प्रेरित किया,  के जीवन पर आधारित है।

भारतीय फुटबॉल के स्वर्ण युग के नायक, सैयद अब्दुल रहीम के जीवन पर आधारित इस फिल्म में अजय देवगन ने रहीम का किरदार निभाया है, और उनके साथ गजराज राव, रुद्रनील घोष, और कई अन्य कलाकार हैं। 

मैदान फिल्म की कहानी:

मैदान फिल्म की कहानी भारतीय फुटबॉल के स्वर्णिम युग के निर्माता, सैयद अब्दुल रहीम के जीवन पर आधारित एक प्रेरक खेल नाटक है। यह फिल्म 1950 और 1960 के दशक के बीच की कहानी है, जब रहीम ने भारतीय राष्ट्रीय फुटबॉल टीम को कोचिंग दी और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई।

अजय देवगन रहीम की भूमिका निभाते हैं, जो एक सख्त और समर्पित कोच हैं, जो अपनी टीम से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की मांग करते हैं। फिल्म में उनके संघर्षों, बलिदानों और प्रेरणादायक नेतृत्व को दर्शाया गया है, जिसने भारत को फुटबॉल मानचित्र पर स्थापित करने में मदद की।

मैदान न केवल रहीम की जीवनी है, बल्कि यह उन खिलाड़ियों की कहानी भी है जिन्होंने उनके मार्गदर्शन में अपना सब कुछ दिया। फिल्म में फुटबॉल के मैदान पर उनके जुनून, कड़ी मेहनत और टीम भावना को दर्शाया गया है।

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यह फिल्म उन लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करना चाहते हैं। यह दर्शाता है कि दृढ़ संकल्प, समर्पण और टीम भावना से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

मैदान एक भावनात्मक और प्रेरक फिल्म है जो आपको अपनी सीटों के किनारे रखेगी। यह आपको भारतीय फुटबॉल के इतिहास और सैयद अब्दुल रहीम की अविश्वसनीय कहानी से परिचित कराएगी। 

फिल्म की खूबियां

  • अजय देवगन का अभिनय: अजय देवगन ने रहीम का किरदार बहुत ही शानदार तरीके से निभाया है। उन्होंने रहीम के दृढ़ संकल्प, जुनून और देशभक्ति को बखूबी दर्शाया है। 
  • विशेष प्रभाव: फिल्म के विशेष प्रभाव बहुत ही अच्छे हैं, खासकर फुटबॉल मैचों के दृश्य। 
  • संगीत: ए.आर. रहमान का संगीत फिल्म को और भी जीवंत बना देता है। 

फिल्म की खामियां

  • कहानी: फिल्म की कहानी थोड़ी कमजोर है। इसमें कुछ क्लिच भी हैं, और कुछ जगहों पर यह थोड़ी धीमी लगती है। 
  • पटकथा:पटकथा भी थोड़ी कमजोर है। कुछ संवाद थोड़े फिल्मी और अवास्तविक लगते हैं। 
  • अतिरिक्त लंबाई:फिल्म 3 घंटे लंबी है, जो थोड़ी ज्यादा है। 

निष्कर्ष

मैदान एक अच्छी फिल्म है, लेकिन इसमें कुछ खामियां भी हैं। अगर आप अजय देवगन के अभिनय और अच्छे विशेष प्रभावों का आनंद लेना चाहते हैं, तो यह फिल्म देखने लायक है। 

मेरी रेटिंग:

“मेरी रेटिंग इस फिल्म के लिए  “3.5/5”  है। यह फिल्म भारतीय फुटबॉल के स्वर्णिम युग और सैयद अब्दुल रहीम की प्रेरक कहानी को पर्दे पर लाती है। हालाँकि, आप अपनी पसंद के आधार पर रेटिंग को घटा या बढ़ा सकते हैं।”

क्या आपको यह फिल्म देखनी चाहिए?

यह आपके ऊपर निर्भर करता है। अगर आप स्पोर्ट्स बायोपिक पसंद करते हैं और अजय देवगन के प्रशंसक हैं, तो यह फिल्म आपको पसंद आ सकती है। 

लेकिन अगर आप एक बेहतरीन कहानी और पटकथा वाली फिल्म ढूंढ रहे हैं, तो यह फिल्म आपको निराश कर सकती है।

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