बिहार बेतिया जिला के एक 15 वर्षीय दिव्यांग युवक ने कमाल का पंखा बनाया है। यह पंखा ताली बजाते ही चलने लगता है और ताली बजाकर ही बंद हो जाता है।
बिहार बेतिया जिला के 15 वर्षीय युवक ने किया कमाल
बिहार के बेतिया जिले के एक गांव में रहने वाले 15 वर्षीय विजय कुमार की अद्भुत कहानी। विजय, जो जन्म से ही दिव्यांग हैं, ने अपने जीवन में अनेक चुनौतियों का सामना किया है। लेकिन उनकी इस कमी ने कभी उनके हौसले को कम नहीं होने दिया। उनकी रुचि आविष्कारों में थी, और उन्होंने 10वीं कक्षा में ही एक कमाल का पंखा बनाया है, जो ताली बजाने से चलता और बंद होता है। विजय कम संसाधनों में भी अपनी लगन और मेहनत से अनेक अद्भुत आविष्कार कर रहे हैं।
बिहार न्यूज़: विजय के पंखे की विशेषताएं
बिहार के बेतिया जिले के रहने वाले विजय कुमार, जो पैरों से दिव्यांग हैं, ने एक ऐसा पंखा बनाया है जो ताली बजाते ही चलने लगता है। विजय ने बताया कि उन्होंने इस पंखे को बनाने में 10,000 रुपये से अधिक खर्च किए हैं।
विजय के आविष्कार
विजय ने बताया कि उन्हें बचपन से ही आविष्कार करने का शौक है और उन्होंने अब तक कई आविष्कार किए हैं, जिनमें एक ताली से चलने वाला पंखा, एक रोबोट का हाथ, और एक हेलीकॉप्टर शामिल हैं। विजय का ताली से चलने वाला पंखा काफी लोकप्रिय हुआ है। यह पंखा ताली की आवाज से चालू और बंद होता है।
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विजय की प्रेरणा
विजय अपनी प्रेरणा अपने पिता से लेते हैं। विजय के पिता किसान हैं और वे हमेशा विजय को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। विजय के पिता ने बताया कि उन्हें अपने बेटे पर बहुत गर्व है। उन्होंने कहा कि विजय बचपन से ही बहुत मेहनती रहा है।
विजय को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
विजय को अपने आविष्कारों को बनाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ी चुनौती थी संसाधनों की कमी। विजय के पास महंगे उपकरणों और सामग्री को खरीदने के लिए पैसे नहीं थे।
विजय ने चुनौतियों का सामना कैसे किया?
विजय ने अपनी चुनौतियों का सामना हार नहीं मानकर किया। उन्होंने घर पर उपलब्ध सामग्री का उपयोग करके अपने आविष्कारों को बनाया है जो की काबिले तारीफ़ है। विजय ने अपनी इच्छा जताई है कि वे वैज्ञानिक बनना चाहते हैं और ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक नया सिस्टम विकसित करना चाहते हैं।
विजय की कहानी एक प्रेरणा है
विजय की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कुछ हासिल करना चाहते हैं। विजय हमें सिखाते हैं कि कम संसाधनों में भी हार न मानकर हम अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। विजय की कहानी उनकी ही जुबानी सुने!!
बिहार के प्रतिभाशाली युवाओं को प्रोत्साहन की आवश्यकता
बिहार में प्रतिभाशाली युवाओं की कमी नहीं है, लेकिन उन्हें उचित प्रोत्साहन और सहायता की आवश्यकता है। विजय जैसे युवाओं को आगे बढ़ने के लिए सरकार और समाज को मिलकर प्रयास करने होंगे।