चित्तौड़गढ़ में अनोखी शादी: अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद, वर्तमान समय में पूरे देश में भगवान श्री राम की भक्ति के रंग में रंगा है। हाल ही में राजस्थान में एक अनूठी शादी का दृश्य देखने को मिला, जिसमें दूल्हा सीता स्वयंवर की तरह शिव धनुष को तोड़ा। बाद में दुल्हन राशि ने उसके गले में वरमाला डाली। इसके अलावा, 11 पंडित बच्चों ने मंत्रोपचार करते हुए वैवाहिक रस्में भी पूरी की।
वर्तमान में पूरे देश में भगवान श्री राम के भक्ति के रंग में रंगा हुआ है, और ऐसे शादी समारोह में रामायण से जुड़े प्रसंगों की लीलाएं देखने को मिल रही हैं। चित्तौड़गढ़ जिले के उदयपुर संभाग में हाल ही में एक अनोखी शादी का दृश्य देखने को मिला। 31 जनवरी को हुई इस शादी में दूल्हा ने सीता स्वयंवर की तरह शिव धनुष को तोड़ा, और बाद में दुल्हन ने उसके गले में वरमाला डाली।
चित्तौड़गढ़ में अनोखी शादी: शादी समारोह में रामलीला का मंचन
चित्तौड़गढ़ । राजस्थान: यह शादी समारोह 31 जनवरी को चित्तौड़गढ़ के इमेजिका रिसोर्ट में आयोजित हुआ था। समाजसेवी अर्जुन मुंदड़ा के बेटे वैभव और राशि की शादी में भारतीय संस्कृति और रामलीला का अद्भुत मेल देखने को मिला। स्टेज पर लड्डू गोपाल को अलग सिंहासन पर विराजमान कराकर मंगल कार्यक्रम शुरू किए गए। वैभव ने स्टेज पर प्रतीकात्मक रखे शिव धनुष को भगवान श्री राम की तरह तोड़कर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच वरमाला की रस्म पूरी की।
11 पंडितों ने मंत्रोच्चारण के साथ संपन्न करवाईं रस्में:
चित्तौड़गढ़ में हुई इस अनोखी शादी में 11 पंडितों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ सभी रस्में संपन्न करवाईं। दूल्हा-दुल्हन के गठबंधन में बंधने का यह अनोखा समारोह चर्चा का विषय बन गया है।
राममय वातावरण में हुई शादी:
इस शादी समारोह में सभी रीति-रिवाज पूरी तरह से भारतीय संस्कृति को ध्यान में रखकर किए गए। लड्डू गोपाल की उपस्थिति और रामलीला से प्रेरित रस्मों ने इस शादी को राममय वातावरण में संपन्न करवाया।
समाजसेवी अर्जुन मुंदड़ा के बेटे वैभव की शादी की चारों ओर चर्चा है। इस शादी में भारतीय संस्कृति से जुड़ी परंपराओं का ध्यान रखा गया। यह एक अनोखी शादी थी! दूल्हे ने धनुष तोड़ा और फिर दुल्हन ने उसे वरमाला पहनाई। मंडप में लगे “जय श्री राम” के नारे इस विशेष अवसर को और भी प्रशंसायोग्य बनाते हैं।
भारतीय संस्कृति का प्रतीक: भगवान श्री राम थीम वेडिंग
चित्तौड़गढ़ जिले के उदयपुर में हुई इस भगवान श्री राम थीम पर आयोजित शादी को देखकर यह लग रहा है कि भारतवर्ष एक बार फिर से सनातन की ओर लगातार लौट रहा है। कई विदेशी थीम्स को छोड़कर, अब डेस्टिनेशन वेडिंग्स के रूप में सांस्कृतिक भारतीय तत्वों को उभारा जा रहा है।
अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना के बाद, पूरे देश में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के उत्सव का जोश देखा जा रहा है। इस उत्सव के दौरान, भक्तों का आत्मिक आनंद और उनका धार्मिक जूनून देखने को मिल रहा है। इसी उत्सव के महोत्सव में, विवाह समारोहों में भी रामायण के प्रसंगों को जीवंत किया जा रहा है।
धार्मिक एवं परंपरागत उत्सव: श्री राम युग स्वयंवर शादी
इस अद्वितीय शादी में, संस्कृति और परंपराओं का ध्यान रखा गया, और शादी की रस्मों में हिंदू धर्म की परंपराओं को समेटा गया। यह शादी न केवल एक परंपरागत विवाह थी, बल्कि एक धार्मिक उत्सव के रूप में भी जानी जाती है। दूल्हा ने शिव धनुष को तोड़कर अपनी दुल्हन को प्राप्त किया, और इस दृश्य ने हर किसी को प्रभावित किया। श्री राम के युग में स्वयंवर, वैदिक मंत्रों की उच्चारण और अन्य संस्कृति से जुड़े कार्यक्रम इस शादी को और भी अद्वितीय बनाते हैं।
इस रूप में, यह शादी एक धार्मिक और सांस्कृतिक समारोह के रूप में नहीं, बल्कि राम भक्ति और समर्पण के प्रतीक के रूप में भी देखी जा सकती है। इस तरह की शादियों को देखकर, हम देख सकते हैं कि भारतीय समाज और संस्कृति अपने मूलों को याद करते हुए अपनी परंपराओं को बचाए और महान धार्मिक कथाओं को आत्मसात करते हुए अपना गर्व महसूस कर रहा है।
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