“मिशन गगनयान” से 40 वर्ष पूर्व, भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री थे “राकेश शर्मा”

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का मिशन गगनयान, भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा। इस मिशन के तहत, 2024 के अंत तक चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी से 400 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।  यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण कदम है, और आज से 40वर्ष पूर्व राकेश शर्मा द्वारा किए गए ऐतिहासिक अंतरिक्ष यान की याद दिलाता है। 

मिशन गगनयान

2024 में, भारत अपने पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान को लॉन्च करने की योजना बना रहा है। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण होगा, और यह 1984 में सोवियत अंतरिक्ष यान Soyuz T-11 पर उड़ान भरने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री, राकेश शर्मा की विरासत पर भी निर्माण करेगा।

राकेश शर्मा: भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री

राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला में हुआ था। 1970 में, उन्होंने भारतीय वायु सेना (IAF) में शामिल हुए और एक लड़ाकू पायलट बन गए। 1982 में, उन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया था।

Soyuz T-11 Mossion

2 अप्रैल 1984 को, राकेश शर्मा सोवियत अंतरिक्ष यात्री यूरी मल्युशेव और जेनडी स्ट्रेकलकोव के साथ Soyuz T-11 अंतरिक्ष यान पर सवार होकर अंतरिक्ष में गए। उन्होंने सोवियत अंतरिक्ष स्टेशन सैल्यूट-7 में आठ दिन बिताए, जहां उन्होंने वैज्ञानिक प्रयोग किए और पृथ्वी की तस्वीरें लीं।

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राकेश शर्मा की विरासत

राकेश शर्मा भारत के राष्ट्रीय नायक बन गए। उन्होंने युवा पीढ़ी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। 2018 में 69 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है।

“सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा”: राकेश शर्मा का प्रसिद्ध वाक्य

8 अप्रैल 1984 को, राकेश शर्मा ने सोवियत अंतरिक्ष स्टेशन सैल्यूट-7 अंतरिक्ष से भारत की भव्यता को देखा तो उन्होंने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से बात की। इस ऐतिहासिक बातचीत के दौरान, उन्होंने एक प्रसिद्ध वाक्य कहा जो आज भी भारत के राष्ट्रवाद का प्रतीक है:

“सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा”

इस वाक्य का अर्थ है कि “दुनिया में भारत से बेहतर कोई जगह नहीं है।” यह वाक्य पूरे देश में गूंज उठा और राकेश शर्मा राष्ट्रीय हीरो बन गए।

एक राष्ट्रव्यापी गौरव:

राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा भारत के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण था। उन्होंने न केवल भारत को अंतरिक्ष युग में प्रवेश कराया, बल्कि उन्होंने देशवासियों को एकजुट भी किया। उनका प्रसिद्ध वाक्य देशभक्ति और राष्ट्रवाद की भावना का प्रतीक बन गया। 

राष्ट्रीय हीरो:

राकेश शर्मा आज भी भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने युवा पीढ़ी को दिखाया कि सपने देखना और उन्हें पूरा करना संभव है। उनका प्रसिद्ध वाक्य हमेशा भारत के राष्ट्रवाद और देशभक्ति का प्रतीक रहेगा।

मिशन गगनयान: राकेश शर्मा की विरासत

गगनयान मिशन राकेश शर्मा की विरासत को आगे बढ़ाएगा। यह मिशन युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगा और उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेगा। राकेश शर्मा आज भी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनका साहस, दृढ़ संकल्प और देशभक्ति, सभी के लिए प्रेरणादायक है। 

गगनयान मिशन: भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम

भारत अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक ऐतिहासिक नए अध्याय की शुरुआत कर रहा है। मिशन गगनयान, जिसका नाम संस्कृत में “आकाशीय वाहन” से लिया गया है, का लक्ष्य 2024 के अंत तक चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी से 400 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में भेजना है। 

मिशन गगनयान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मिशन भारत को अंतरिक्ष यान भेजने वाले देशों की सूची में शामिल करेगा और देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

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