भारत ने नेपाली टूरिस्ट्स को भारतीय सिम कार्ड लेने की अनुमति दी,

नेपाल और भूटान के नागरिक, जो भारत आते हैं, अब देश में भारतीय सिम कार्ड (Indian SIM Card) प्राप्त कर सकेंगे, बशर्ते वे अपनी पहचान का वैध प्रमाण पत्र प्रदान करें।

भारत के संचार मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि नेपाल आने वाले नागरिकों को भारत में मोबाइल कनेक्शन लेने की अनुमति दी जाएगी। इसके लिए व्यक्तियों को अपनी पहचान का वैध प्रमाण देना होगा। यह व्यवस्था भूटानी नागरिकों के लिए भी की गई है। मंत्रालय ने कहा कि नागरिकता प्रमाण पत्र, मतदाता पहचान पत्र या संबंधित देशों के दूतावास द्वारा जारी सीमित वैधता वाला फोटो पहचान पत्र वैध प्रमाण के रूप में स्वीकार किए जाएंगे।

भारतीय सिम कार्ड लेने के लिए जरुरी दास्त्वेज

भारतीय सिम कार्ड
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अगर कोई नेपाली या भूटानी नागरिक अपनेमूल देश के अलावा किसी अन्य देश से भारत आता है, तो उन्हें भारतीय सिम कार्ड लेने के लिए जरुरी दास्त्वेज अपने पासपोर्ट की एक प्रति वैध वीजा के साथ प्रस्तुत करना होगा। बयान में कहा गया है, “नेपाल या भूटान के किसी नागरिक के अपने मूल देशों के अलावा किसी अन्य स्थान से भारत में प्रवेश करने की स्थिति में, उसे पासपोर्ट की प्रति वैध वीजा स्टाम्प के साथ प्रस्तुत करना होगा।

मंत्रालय ने कहा कि मोबाइल कनेक्शन की वैधता [नेपाल और भूटान के नागरिकों] को भारत में रहने की अधिकतम अनुमति दी गई समय या वीजा की वैधता से अधिक नहीं होगी। बयान में आगे कहा गया है, “इसके अलावा, ऐसे कनेक्शनों की वैधता एक बार में 3 महीने से अधिक नहीं होगी, भले ही भारत में रहने की अधिकतम अनुमति दी गई समय या वीजा की वैधता 3 महीने से अधिक हो।

ऐसे आगंतुकों को प्रदान किए गए मोबाइल कनेक्शनों पर अंतर्राष्ट्रीय रोमिंग की अनुमति नहीं होगी। इस बीच, भारतीय सरकार के इस फैसले को नेपाल के भारत में राजदूत शंकर प्रसाद शर्मा ने “बहुत अच्छी खबर” बताया है।उन्होंने मंगलवार को अपने एक्स काउंट पर लिखा, “नेपाल के नागरिकों को पहले तकनीकी कारणों से सिम कार्ड देने से इनकार कर दिया गया था।” राजदूत ने कहा कि इस आशय के नेपाल के अनुरोध को भारत के विदेश मंत्रालय और संचार मंत्रालय द्वारा तेजी से संसाधित किया गया।

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नेपाल और भारत – रिश्तों के धागे सदियों पुराने

नेपाल और भारत के रिश्ते सदियों पुराने हैं, इतिहास, संस्कृति, धर्म और परंपराओं से गहराई से जुड़े। खुली सीमाओं के कारण नागरिकों का आवागमन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और पारिवारिक रिश्ते इन रिश्तों की मजबूती का आधार हैं। 1950 की शांति और मैत्री संधि ने औपचारिक रूप से इन संबंधों को मान्यता दी।

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भारत, नेपाल के विकास में अहम भूमिका निभाता रहा है, चाहे बुनियादी ढांचा हो, स्वास्थ्य क्षेत्र हो, शिक्षा हो या जल-विद्युत परियोजनाएं। दोनों देशों के बीच व्यापार लगातार बढ़ रहा है। हालांकि, सीमा विवाद और जल संसाधनों के साझा उपयोग जैसे कुछ चुनौतियां भी हैं। इन चुनौतियों के समाधान के लिए दोनों देशों के बीच निरंतर वार्ता और सहयोग जरूरी है। कुल मिलाकर, नेपाल और भारत के रिश्ते मजबूत हैं और भविष्य में भी इनके और मजबूत होने की उम्मीद है।

रिश्तों के रंगों में उतार-चढ़ाव

नेपाल और भारत के रिश्ते हमेशा एक समान नहीं रहे हैं। समय के साथ इनमें उतार-चढ़ाव भी आया है। 1990 के दशक में नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता और माओवादी विद्रोह के कारण दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हुआ। 2015 में नेपाल में अपना संविधान लागू करने के बाद भारत ने कुछ समय के लिए नाकाबंदी लगा दी थी, जिसके कारण दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास पैदा हुई।

हालांकि, इन चुनौतियों के बावजूद, दोनों देशों ने हमेशा एक दूसरे के साथ सहयोग और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने का प्रयास किया है। 2018 में, दोनों देशों ने अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए एक ‘विशेष रणनीतिक साझेदारी’ समझौते पर हस्ताक्षर किए।

भविष्य की ओर

नेपाल और भारत के रिश्ते सदियों पुराने हैं और भविष्य में भी इनके मजबूत बने रहने की उम्मीद है। दोनों देशों के बीच कई साझा हित हैं, जैसे कि आर्थिक विकास, सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन। इन हितों को ध्यान में रखते हुए, दोनों देशों को आपसी सहयोग और विश्वास को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए।

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