Raghupati Raghav Raja Ram Bhajan के साथ 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा

Raghupati Raghav Raja Ram Bhajan: भगवान विष्णु की पूज्य अवतार, भगवान राम की मूर्ति को आज अयोध्या के राममंदिर में पूर्ण रूप से स्थापित किया है और आज 22 जनवरी को अयोध्या में भगवन राम की प्राण प्रतिष्ठा पूजा पूरी हो गई है । आज, वहां तीन भगवान राम की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। धार्मिक रामायण का हिस्सा, यह भक्तिगीत ‘रघुपति राघव राजा राम’ भगवान राम को समर्पित है। यहां पूरा भजन पढ़ें।

Raghupati Raghav Raja Ram Bhajan
Image source: social media

रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम भजन भगवान राम को समर्पित एक प्रसिद्ध भजन है। यह भजन श्री नम: रामायणम् का एक अंश है, जो एक संस्कृत महाकाव्य है जो भगवान राम के जीवन और उनके द्वारा किए गए कार्यों का वर्णन करता है।

Raghupati Raghav Raja Ram Bhajan और उसका अर्थ

पहला श्लोक

रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥

सुंदर विग्रह मेघश्याम
गंगा तुलसी शालग्राम ॥

इस श्लोक में, भक्त भगवान राम को “रघुपति राघव राजाराम” और “पतित पावन सीताराम” कहकर संबोधित करते हैं। “रघुपति” का अर्थ है “रघुओं के स्वामी” और “राघव” का अर्थ है “रघुवंशी”। “राजाराम” का अर्थ है “राम राजा”। “पतित पावन” का अर्थ है “पापी को पावन करने वाला”। “सीताराम” का अर्थ है “सीता के पति राम”।

Raghupati Raghav Raja Ram Bhajan
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इस श्लोक में, भक्त भगवान राम की सुंदरता और उनके दिव्य स्वरूप की भी प्रशंसा करते हैं। वे उन्हें “मेघश्याम” कहते हैं, जिसका अर्थ है “बादल के समान काला”। वे उन्हें “गंगा तुलसी शालग्राम” भी कहते हैं, जो उनके पूजनीय प्रतीक हैं।

दूसरा श्लोक

रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥

भद्रगिरीश्वर सीताराम
भगत-जनप्रिय सीताराम ॥

इस श्लोक में, भक्त भगवान राम को “भद्रगिरीश्वर” कहते हैं, जिसका अर्थ है “भद्रगिरि पर्वत के स्वामी”। वे उन्हें “भगत-जनप्रिय” भी कहते हैं, जिसका अर्थ है “भक्तों के प्रिय”।

तीसरा श्लोक

रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥

जानकीरमणा सीताराम
जयजय राघव सीताराम ॥

रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥

रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥

इस श्लोक में, भक्त भगवान राम को “जानकीरमणा” कहते हैं, जिसका अर्थ है “जानकी के प्रिय”। वे उन्हें “जयजय राघव” भी कहते हैं, जिसका अर्थ है “राघव की जय हो”।

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सारांश

रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम भजन एक भावपूर्ण और भक्तिपूर्ण भजन है जो भगवान राम की महिमा का गुणगान करता है। यह भजन हिंदुओं के बीच बहुत लोकप्रिय है और इसे अक्सर मंदिरों और घरों में गाया जाता है।

रघुपति राघव राजाराम भजन का संगीत

रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम भजन को अक्सर एक सरल और सुंदर संगीत के साथ गाया जाता है। यह संगीत भजन के भाव को और अधिक बढ़ा देता है। अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया है। आज मंदिर में भगवान राम की तीन मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई। यह भजन श्री नम: रामायणम् का एक अंश है, जो भगवान राम को समर्पित है।

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भजन में, भक्त भगवान राम को “रघुपति राघव राजाराम” और “पतित पावन सीताराम” कहकर संबोधित करते हैं। वे उन्हें “मेघश्याम” कहते हैं, जिसका अर्थ है “बादल के समान काला”। वे उन्हें “गंगा तुलसी शालग्राम” भी कहते हैं, जो उनके पूजनीय प्रतीक हैं। भक्त भगवान राम की सुंदरता और उनके दिव्य स्वरूप की भी प्रशंसा करते हैं। वे उन्हें “भद्रगिरीश्वर सीताराम” कहते हैं, जिसका अर्थ है “भद्रगिरि पर्वत के स्वामी”। वे उन्हें “जानकीरमणा सीताराम” कहते हैं, जिसका अर्थ है “जानकी के प्रिय”।

यह भजन हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण भजन है। यह भजन भगवान राम के प्रति भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करता है। यह भजन हिंदुओं को भगवान राम के आदर्शों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।

भजन का महत्व

रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम भजन हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण भजन है। यह भजन भगवान राम के प्रति भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करता है। यह भजन हिंदुओं को भगवान राम के आदर्शों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।

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