25 फरवरी 2024 को, अट्टुकल पोंगाला का त्योहार शुरू हुआ, जो विश्व का सबसे बड़ा महिला उत्सव है। यह त्योहार भारत के केरल राज्य में मनाया जाता है और इसमें लाखों महिलाएं भाग लेती हैं। इस त्योहार में, महिलाएं देवी अट्टुकल अम्मा को चावल और दूध से बने पोंगल का भोग लगाती हैं। यह त्योहार महिलाओं की शक्ति और एकता का प्रतीक है।
केरल के रंगारंग त्योहारों में से एक, अट्टुकल पोंगाला, न केवल अपनी भव्यता के लिए बल्कि अपने अनोखे स्वरूप के लिए भी विश्व भर में प्रसिद्ध है। यह एक ऐसा धार्मिक समागम है जो पूरी तरह से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है और इसे विश्व का सबसे बड़ा महिला उत्सव होने का गौरव भी प्राप्त है।
अट्टुकल पोंगाला: विश्व का सबसे बड़ा महिला उत्सव
अट्टुकल पोंगाला, भगवती अट्टुकल मंदिर, तिरुवनंतपुरम में मनाया जाने वाला एक दस दिवसीय धार्मिक उत्सव है। यह त्योहार विश्व का सबसे बड़ा महिला उत्सव है, जिसमें लाखों महिलाएं देवी को ‘पोंगाला’ भेंट करती हैं। “पोंगाला” का अर्थ है “उबालना” और यह स्वादिष्ट खीर के समान होता है, जिसे चावल, गुड़, नारियल और केले से बनाया जाता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि समुदाय और परंपरा को भी जोड़ता है।
त्योहार का इतिहास और महत्व:
किंवदंती के अनुसार, पांड्य राजा द्वारा अन्याय का सामना करने के बाद, कन्नकी नामक एक महिला ने मंदिर के पास शरण ली थी। महिलाओं ने उनका स्वागत किया और उनकी मदद की। देवी अट्टुकल कन्नकी से प्रसन्न हुईं और उनका आशीर्वाद दिया। इस आयोजन को याद करते हुए, महिलाएं हर साल देवी को पोंगाला चढ़ाती हैं। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है।
दस दिवसीय आस्था का सफर
तिरुवनंतपुरम में स्थित अट्टुकल भगवती मंदिर में आयोजित होने वाला यह उत्सव दस दिनों तक चलता है। मलयालम महीने कुंभम में कार्तिगई नक्षत्र के दिन इसकी शुरुआत होती है। त्योहार की शुरुआत “कप्पूकेट्टु” नामक अनुष्ठान के साथ होती है, जिसमें देवी भगवती की कथा को संगीत के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। यह कथा पांड्य राजा के वध की घटना को दर्शाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
पोंगाला का अनुष्ठान:
पोंगाला का अनुष्ठान बहुत पवित्र माना जाता है। पोंगल के दिन लाखों महिलाएं, मिट्टी के बर्तनों में चावल, गुड़ और नारियल से बना स्वादिष्ट “पायसम” तैयार करती हैं। इस पायसम को “अटुकलाम्मा” के रूप में देवी भगवती को अर्पित किया जाता है। सुबह से ही शहर की सड़कें महिलाओं से भर जाती हैं, जो मंदिर की ओर बढ़ती हैं और रास्ते में भजनों और मंत्रों का उच्चारण करती हैं। इस दृश्य को देखकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
सामुदायिक भावना और सांस्कृतिक महत्व:
अट्टुकल पोंगाला केवल एक धार्मिक उत्सव ही नहीं है, बल्कि यह सामुदायिक भावना और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। यह उत्सव सभी जातियों और धर्मों की महिलाओं को एक साथ लाता है। यह त्योहार केरल की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को भी दर्शाता है।
मुख्य आकर्षण: पोंगला
इस उत्सव का मुख्य आकर्षण “पोंगला” है। त्योहार के नौवें दिन लाखों महिलाएं शहर की सड़कों और मंदिर परिसर को अपने हाथों से रंग देती हैं। मिट्टी के बर्तनों में चावल, गुड़, नारियल की खील और मुनक्का से बनाया गया मीठा पकवान “पोंगला” तैयार किया जाता है। इस अनुष्ठान को “अटुकलाम्मा” कहते हैं, जिसे मंदिर के बाहर ही खुले आसमान के नीचे किया जाता है।
एकता और भक्ति का संगम
अट्टुकल पोंगाला सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भक्ति का एक अद्भुत संगम है। अलग-अलग धर्म, जाति और आर्थिक पृष्ठभूमि की महिलाएं मिलकर इस उत्सव को मनाती हैं। यह समाज के हर वर्ग की महिलाओं को समान मंच प्रदान करता है और उन्हें एकजुट होने का अवसर देता है।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड
अट्टुकल पोंगाला का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। सन 1997 में इस उत्सव में भाग लेने वाली महिलाओं की संख्या 1.5 मिलियन थी, जो किसी भी महिलाओं द्वारा किए गए धार्मिक समागम में सबसे अधिक है।
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पर्यटकों के लिए आकर्षण
यह अनोखा उत्सव न केवल केरलवासियों के लिए बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है। हर साल दुनिया भर से लोग इस भव्य समारोह को देखने और उसका अनुभव करने के लिए केरल आते हैं।
कुछ रोचक तथ्य:
- अट्टुकल पोंगल को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दुनिया के सबसे बड़े महिला उत्सव के रूप में दर्ज किया गया है।
- वर्ष 2009 में इस त्योहार में 2.5 मिलियन से अधिक महिलाओं ने भाग लिया था।
- अट्टुकल पोंगल को “महिलाओं का सबरीमाला” भी कहा जाता है, क्योंकि मंदिर में केवल महिलाओं को ही प्रवेश दिया जाता है।
इस साल का उत्सव:
इस साल अट्टुकल पोंगाला 25 फरवरी, 2024 को मनाया गया। इस आयोजन में लाखों महिलाओं ने भाग लिया और देवी को पोंगाला चढ़ाया। अट्टुकल पोंगाला एक अविस्मरणीय अनुभव है। यह त्योहार न केवल देवी के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह सामुदायिक भावना और सांस्कृतिक महत्व को भी दर्शाता है।
मुझे आशा है कि यह लेख आपको अट्टुकल पोंगाला के बारे में अधिक जानकारी दे सका है।